रामदीन स्टेज से नीचे उतर भीड़ में खो गया.......
हे भगवान्, ये क्या अनर्थ हो गया मुझसे.
५० हजार रुपये ईनाम के लिए उसके नाम की पुकार स्टेज से सुनते ही रामदीन अचानक बडबडाने लगा था.
रामदीन नहीं जानता था कि कूड़ेदान वाली इस तस्वीर को इत्ता बड़ा इनाम मिल जायेगा.
जैसे ही उसे आयोजन समिति ने स्टेज पर बुलाया पहले तो वो सकुचा सा गया फिर समिति के कुछ सदस्यों ने उसे ससम्मान ऊपर तक पहुचाने का प्रयास किया तो उसके कदम बढ़ ही नहीं रहे थे.
भीड़ में लोग बुदबुदाने लगे थे, वाह रामदीन के तो भाग जाग गए. लेकिन अभी तो ठीक था अचानक बीमार सा क्यूँ दिखने लगा रामदीन..........?
स्टेज पर पहुँच रामदीन ने जब 50 हजार का इनाम लेने से मना कर दिया तो सबकी आँखें मानो फटी सी रह गईं. छोटी सी दूकान में फोटो खिंच परिवार का पेट पालने वाला रामदीन क्या पागल हो गया. ........? ऐसी बातें दबी जुबान भीड़ में से सुनाई देने लगी थीं.
आयोजन समिति के लोग भी हक्के बक्के से लग रहे थे. ईनाम राशी हाथ में लिए शहर के मेयर भी कुछ समझ नहीं पा रहे थे, रामदीन उनकी तरफ बढ़ने कि बजाय माइक के तरफ जाने लगा था,
संचालन कर रहे व्यक्ति को हाथ से धकियाते रामदीन माइक हाथ में ले कहने लगा - यह ईनाम मैं नहीं ले सकता, जो मेरे द्वारा खिंची फोटो ईनाम कि हकदार बनी है वो शहर के कूड़ेदान कि फोटो है, मैंने उस रोज देखा मेरे शहर के कुछ गरीब बच्चे कूड़ेदान में घुस कुछ खा रहें हैं.
उनके हाथ में जूठन और कुछ सड़े हुए फल थे. वो बहुत खुश थे. मेरी नजर उन पे पड़ी तो मैंने फोटो लेना चाहा.लेकिन मुझे देख डर के मारे बच्चे कूड़ेदान से निकल भागने लगे. मैंने ५ रुपये का नोट दिखा कर उन्हें वापस बुलाया.उन्हें पैसे देकर फिर से कचरेदान में वापस घुसाया, और फोटो खिंच ली.
ये बताते बताते अचानक रामदीन के पैर कापने लगे रुआंसे गले से वह बोला - अभी तक तो ठीक था लेकिन जैसे ही मेरी खिंची फोटो को पहला स्थान मिला अचानक कपकपी सी लग रही है. मेरी आत्मा अचानक रोने लगी है, ऐसा महसूस हो रहा है कि मै जोर जोर से रोने लगूँ.
मैंने अपने स्वार्थ के लिए उन बच्चों को कूड़ेदान में वापस भेजने का अपराध किया है, मै ईनाम नहीं सजा का हकदार हूँ. इसका प्रायश्चित केवल यही हो सकता है कि मै ये ईनाम न लूँ. ये राशि ऐसे बच्चों के लालन पालन में लगा दी जाए. इतना कह रामदीन स्टेज से नीचे उतर भीड़ में खो गया.
हे भगवान्, ये क्या अनर्थ हो गया मुझसे.
५० हजार रुपये ईनाम के लिए उसके नाम की पुकार स्टेज से सुनते ही रामदीन अचानक बडबडाने लगा था.
रामदीन नहीं जानता था कि कूड़ेदान वाली इस तस्वीर को इत्ता बड़ा इनाम मिल जायेगा.
जैसे ही उसे आयोजन समिति ने स्टेज पर बुलाया पहले तो वो सकुचा सा गया फिर समिति के कुछ सदस्यों ने उसे ससम्मान ऊपर तक पहुचाने का प्रयास किया तो उसके कदम बढ़ ही नहीं रहे थे.
भीड़ में लोग बुदबुदाने लगे थे, वाह रामदीन के तो भाग जाग गए. लेकिन अभी तो ठीक था अचानक बीमार सा क्यूँ दिखने लगा रामदीन..........?
स्टेज पर पहुँच रामदीन ने जब 50 हजार का इनाम लेने से मना कर दिया तो सबकी आँखें मानो फटी सी रह गईं. छोटी सी दूकान में फोटो खिंच परिवार का पेट पालने वाला रामदीन क्या पागल हो गया. ........? ऐसी बातें दबी जुबान भीड़ में से सुनाई देने लगी थीं.
आयोजन समिति के लोग भी हक्के बक्के से लग रहे थे. ईनाम राशी हाथ में लिए शहर के मेयर भी कुछ समझ नहीं पा रहे थे, रामदीन उनकी तरफ बढ़ने कि बजाय माइक के तरफ जाने लगा था,
संचालन कर रहे व्यक्ति को हाथ से धकियाते रामदीन माइक हाथ में ले कहने लगा - यह ईनाम मैं नहीं ले सकता, जो मेरे द्वारा खिंची फोटो ईनाम कि हकदार बनी है वो शहर के कूड़ेदान कि फोटो है, मैंने उस रोज देखा मेरे शहर के कुछ गरीब बच्चे कूड़ेदान में घुस कुछ खा रहें हैं.
उनके हाथ में जूठन और कुछ सड़े हुए फल थे. वो बहुत खुश थे. मेरी नजर उन पे पड़ी तो मैंने फोटो लेना चाहा.लेकिन मुझे देख डर के मारे बच्चे कूड़ेदान से निकल भागने लगे. मैंने ५ रुपये का नोट दिखा कर उन्हें वापस बुलाया.उन्हें पैसे देकर फिर से कचरेदान में वापस घुसाया, और फोटो खिंच ली.
ये बताते बताते अचानक रामदीन के पैर कापने लगे रुआंसे गले से वह बोला - अभी तक तो ठीक था लेकिन जैसे ही मेरी खिंची फोटो को पहला स्थान मिला अचानक कपकपी सी लग रही है. मेरी आत्मा अचानक रोने लगी है, ऐसा महसूस हो रहा है कि मै जोर जोर से रोने लगूँ.
मैंने अपने स्वार्थ के लिए उन बच्चों को कूड़ेदान में वापस भेजने का अपराध किया है, मै ईनाम नहीं सजा का हकदार हूँ. इसका प्रायश्चित केवल यही हो सकता है कि मै ये ईनाम न लूँ. ये राशि ऐसे बच्चों के लालन पालन में लगा दी जाए. इतना कह रामदीन स्टेज से नीचे उतर भीड़ में खो गया.
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