मंगलवार, 17 अप्रैल 2012

जल्द नहीं उतर सकता "थर्ड आई" निर्मल बाबा का रंग


भिलाई के डहरिया परिवार ने मनाया जन्मदिन
-- संतोष मिश्रा--
लोग भले निर्मल बाबा के संबंध में कुछ भी कहें लेकिन उनके भक्तों का अटूट विश्वास कहीं कम नहीं हुआ है, यह दावा किया है भिलाई की कान्ट्रेक्टर कालोनी के डहरिया परिवार ने। इस परिवार का कहना है कि दसवंद पूजा और समागम में एक कुर्सी पाने की चाहत में आज भी कई भक्त रूपयों की गड्डी लिये खड़े हैं। टेलीविजन के वैज्ञापनिक समागम शो को देख कर पिछले पांच महीने से निर्मल बाबा ने कई लोगों के मन और घरों में आसानी से अपनी पहुँच बना ली है, नतीजतन भिलाई क्षेत्र से भी पिछले महीने निर्मल दरबार में लाखों रूपये गये हैं। कुछ परिवार तो ऐसे भी मिले जिनके घर भले रोजमर्रा के खर्च को रूपये कम पड़ रहे हों लेकिन वे बैंकों की कतार में खड़े अपनी आय का दस फीसदी हिस्सा जोड़ उसे जमा करने की होड़ में आज भी दिखाई देते हैं। कारण अंधश्रद्धा हो या फिर बिना परिश्रम आसानी से घर में भौतिक सुख और शांति की लालसा, जागरूकता की बयार अब भी कम पढ़े लिखे लोगों के मन में समा गई निर्मल बाबा की श्रद्धा के विमुख बहती नहीं दिखाई देती। भिलाई के एक परिवार ने कल बाकायदा आमंत्रण कार्ड छपवा निर्मलजीत सिंह नरूला का न सिर्फ जन्मदिन मनाया बल्कि डीजे की धुन में थिरकने के बाद सैकड़ों मेहमानों ने भंडारा में हिस्सा लेकर निर्मल बाबा के जयकारे भी लगाये। 
कान्ट्रेक्टर कॉलोनी निवासी दयाराम डहरिया का पूरा परिवार निर्मल बाबा की श्रद्धा में लवलीन है। इत्तेफाक से 16 अप्रैल को निर्मलजीत सिंह नरूला के जन्मदिन की जानकारी लगते ही इस परिवार ने 29 बरस से कभी न मनाये जाने वाले अपने बेटे राजेश के जन्मदिन को निर्मल बाबा की तस्वीर के साथ न सिर्फ धूमधाम से मनाया बल्कि मोहल्ले के आमंत्रित मेहमानों के समक्ष निर्मल बाबा के पॉवर का बखान करते हुए अपने परिवार की खुशहाली को उनकी कृपा का फल भी बताया। मध्यम वर्गीय परिवार के दयाराम ने तकरीबन 150 आमंत्रण कार्ड मोहल्ले और परिचितों के घर बांटे और निर्मल बाबा का जन्मदिन केक काटने के बाद सभी को दावत भी दी। दयाराम बताते हैं कि मीडिया की पहुँच से इस भव्य आयोजन को उन्होंने इसलिये दूर रखा है क्योंकि मीडिया निर्मल बाबा के खिलाफ भले हो गई है लेकिन उनका परिवार आज भी उन्हें उतनी ही श्रद्धा और भक्ति के माध्यम से देखता है। निर्मलजीत सिंह को साईं बाबा और शनिदेव का रूप बताते हुए दयाराम ने दावा किया कि पूजे जाने वाले सभी देवी देवताओं के समकक्ष आज भी निर्मल बाबा अनेक घरों में विराजमान हैं।    
जन्म से ही डहरिया परिवार ने घर के बेटे राजेश का जन्मदिन आज तक नहीं मनाया था। लेकिन इस बार जानकारी मिली कि निर्मल बाबा का जन्मदिवस उसी दिन है जिस दिन राजेश जन्मा था इसलिये दोनों का जन्मदिन धूमधाम से मनाने का निर्णय लेते हुए दयाराम ने सभी को आमंत्रित किया। दोपहर 2 बजे आमोद भवन के शिव मंदिर में निर्मल बाबा की तस्वीर ले खड़े राजेश ने रूद्राभिषेक व शिव पूजा की और 3 बजे से मंदिर प्रांगण में महाभोग और भण्डारा का कार्यक्रम सम्पन्न हुआ। शाम को बर्थडे ब्वाय राजेश और निर्मल बाबा के नाम से केक काटा गया और डीजे की धुन में नाचते सभी मेहमानों और आमंत्रित मोहल्लेवासियों ने रात्रि भोज का आनंद भी लिया।

निर्मल भले चम्बल का डाकू हो, कोई फर्क नहीं पड़ता-राजेश
निर्मलजीत सिंह भले चम्बल के डाकू क्यों न हों, उनका थर्ड आई पॉवर और उनका प्रभाव डहरिया परिवार और उनके अन्य भक्तों के विश्वास को कहीं डिगा नहीं सकता। डहरिया परिवार का 29 वर्षीय राजेश पहले तो चर्चा करने ना-नुकुर करता रहा लेकिन दयाराम के सहयोग के निर्देश के बाद राजेश ने खुल कर सभी सवालों के जवाब दिये। राजेश ने कहा कि सारा मीडिया निर्मल बाबा के प्रभाव को उनके भक्तों के मन से रत्ति मात्र भी खत्म नहीं कर सकता। निर्मल बाबा का अतीत भले कितना भी बुरा हो वो भले चम्बल के डकैत रहे हों या फिर चोर या बड़े लुटेरे ही क्यों न हों आज डहरिया परिवार उनके प्रभाव से ही इतना बड़ा आयोजन कर पाया है। राजेश ने बताया कि उनका परिवार पिछले पांच महीनों से निर्मल बाबा को देवता के समान ही पूजता है। टेलीविजन चैनल पर निर्मल समागम देख उनकी भक्ति लौ इस परिवार ने जलाई और दसवंद पूजा और समागम के लिये प्रति माह लगातार पारिवारिक सदस्यों द्वारा जमा किये गये रूपयों को निर्मल दरबार के खाता में जमा करने का सिलसिला पांच महीने से नहीं रूका है। 
राजेश डहरिया का मानना है कि आज निर्मल बाबा की भले सच्चाई खुल कर सामने आ रही है लेकिन उनके अतीत से कुछ लेना-देना नहीं है, उनका थर्ड आई पॉवर सर्वशक्तिमान है जिससे वे लोगों का दु:ख दूर कर रहे हैं। पेशे से ड्रायवर राजेश ने दिसंबर महीने में निर्मल बाबा का कार्यक्रम देखते हुए अपने लिये एक सायकल की मन्नत रखी और एक महीने के भीतर ही उसने स्कूटर खरीद लिया। जहां तक राजेश के संबंध में मोहल्ले के लोगों ने बताया कि कुछ महीने पहले ही राजेश की मोटर सायकल फायनेंस कम्पनी ने किश्त न पटाने पर वापस ले लिया। इस संबंध में किये गये सवाल पर राजेश का कहना है कि वो अतीत था, अब वर्तमान में उनके घर की कंडीशन निर्मल बाबा के आशिर्वाद से ठीक हो गई है, उसके जीजा को काम मिल गया है, गुमसुम रहने वाला उसका छोटा भाई अब हंसने बोलने लगा है, परिवार के सभी सदस्य नियमित रूप से सप्ताह के पांच दिन मंदिर जाते हैं वहां चढ़ावा भी देते हैं। 

जयकारे के बीच नारियल तड़क जाने की फैलाई खबर 
डहरिया परिवार में पहले राजेश अपनी वास्तविक उम्र इसलिये छिपा रहा था कि उसके विवाह में उम्र की सच्चाई बाधक बनेगी। बाईक की सीजिंग मामले में उसका जवाब था कि वो तो निर्मल बाबा के भक्त बनने से पहले का मामला था। निर्मल की भक्ति के बाद राजेश ने ड्रायवर का काम इसलिये छोड़ दिया क्योंकि वह किसी की बात या घुड़की नहीं सुनना चाहता। अब राजेश खुद के लिये कार लेना चाहता है, उसे विश्वास है कि निर्मल बाबा के बताये मार्ग पर चलने से जल्द ही कार उसके दरवाजे होगी। फिलहाल केटरिंग वर्क से वह खुश है और परिवार के सदस्य कमाई का 10 फीसदी हिस्सा निर्मल दरबार में हर माह डालते रहेंगे। जन्मदिन आयोजन में पहुँचे लोगों को निर्मल बाबा की पॉवर का बखान समय-समय पर करते हुए उनके प्रति लोगों में विश्वास जगाने का प्रयास भी डहरिया परिवार करते रहा। लगभग चार बजे यह बात प्रचारित की गई कि निर्मल बाबा को चढ़ाया गया नारियल अपने आप तड़क गया जो कि उनकी पॉवर का प्रभाव है। कार्यक्रम में कुछ लोग अनमने भाव से भी पहुँचे थे और सभी की जुबान पर निर्मल दरबार के नाम पर जमा किये गये करोड़ों रूपये का जिक्र था जिनका जवाब भी दूसरे लोग देते दिखाई दिये। दोपहर के आयोजन में लगभग 60 से 70 महिलाएं पहुँची थीं जिन पर निर्मल बाबा की भक्ति हावी दिखाई पड़ी। अधिकांश महिलाएं निरक्षर थीं लेकिन शाम को केक काटने के बाद सैकड़ों युवा डीजे की धुन पर थिरकते दिखाई पड़े। जिन पर निर्मल बाबा का प्रभाव कम ही दिखाई पड़ा वे तो दावत मिलने से ज्यादा खुश थे। 

नींद की नौटंकी करने वाले को जगाना मुश्किल-डॉ. दिनेश मिश्रा
अंध श्रद्धा निर्मूलन समिति के अध्यक्ष डॉ. दिनेश मिश्र ने डहरिया परिवार व निर्मल बाबा के संबंध में छत्तीसगढ़ से चर्चा में कहा कि जो व्यक्ति सोया हो उसे जगाया जा सकता है लेकिन जो जान बूझ कर आंखें बंद कर सोने का नाटक कर रहा हो वह चाह कर भी नहीं जगाया जा सकता। निर्मल बाबा के भक्त दूसरी ही श्रेणी के हैं जिनमें अंधश्रद्धा घर कर गई है। निर्मलजीत सिंह न तो किसी धर्म विशेष का शीर्षस्थ रहा है और न ही उसकी योग या किसी तरह की साधना के संबंध में सही जानकारी मिलती है, प्रायोजित लोगों के माध्यम से गलत तरीके और पूर्ति को लोगों के समक्ष समागम के जरिये परोसा गया और कम पढ़े लिखे लोग उस पर सहज ही विश्वास जगा बैठे। निर्मलजीत सिंह नरूला एक असफल व्यक्ति था जिसने खुद को स्थापित करने अनेक प्रयास किये जब सफल नहीं हुआ तो उसने थर्ड आई जागृत करने की बातें प्रचारित प्रसारित कर खुद की असीमित कमाई का जरिया ढूंढ लिया। मीडिया को भी व्यावसायिक नजरिये से ऐसे लोगों के वैज्ञापनिक आयोजनों को जनता के समक्ष नहीं परोसना चाहिए क्योंकि इससे कई लोगों के मन में भ्रम घर कर जाता है और इसकी परिणिति कहीं न कहीं जन-धन के अहित के रूप में सामने आती है। इसलिये खासकर इलेक्ट्रानिक मीडिया को ऐसे समागम जैसे विज्ञापनों का प्रसारण बंद करना चाहिए क्योंकि भारतवर्ष में एक बड़ा तबका ऐसे लोगों का है जो इन विज्ञापनों के पूर्व दिखाई जाने वाली सचेतक सूचना को पढ़ व समझ नहीं पाता। डहरिया परिवार जैसे अनेक लोग निर्मल बाबा के ढोंग के प्रभाव में हैं जिन्हें जल्द बाहर निकालना बहुत जरूरी है।
-----------------SANTOSH KUMAR MISHRA--------------------------------------(17/04/2012)--------------