रविवार, 7 अक्तूबर 2012

मन के नैन हजार.......: " स " से सावधान .................अजीब लग रहा हैं ...

मन के नैन हजार.......: " स " से सावधान .................
अजीब लग रहा हैं ...
: " स " से सावधान ................. अजीब लग रहा हैं न ?पर ये सच्चाई है महिलाओं के लिये पहला " स " तो " सगाई " से ही शुरू हो जाता है उससे निज...
" स " से सावधान .................
अजीब लग रहा हैं न ?पर ये सच्चाई है महिलाओं के लिये पहला " स " तो " सगाई " से ही शुरू हो जाता है उससे निजात मिलती है तो " सास " सामने आ जाती है जो "साँस " तक लेने नही देती है उनसे बची तो "सार्स " यानि चीनी की बिमारी भी इनकी पक्की सहेली होती है ,श्रंगार प्रेमी होने के कारण " सोने " से भी डर, बच गये तो नये शत्रु यानी " सफर " "सड़क " और यहाँ तक की "सहेलियाँ "भी कम खतरा नही होती ,उनका "सनम " न ले उडें ,पर सबसे बड़ा खतरा तो "सजन " के रूप में आता है फिर" शरारत " " शराब " जिनसे बचने के लिये "सजना " संवरना " पड़ता है एक और खतरा इन्तजार में ही रहता है "सौत " के रूप में ,जिससे "सपने " में भी डर लगता है |ये सभी " स " एक " सदमे " का रूप ले लेते हैं |
तभी तो कहता हूँ महिलाएं पुरुषों से ज्यादा भावुक होती हैं " संकट " में फसे व्यक्तियों को "संकट " से छुटकारे के लिये "समझाने " लगती हैं यही समझाना ही उनके लिये "संकट " बन जाता है "सफाई " भी देनी पडती है सो अलग ,है न "स " खतरनाक क्रपया "स " से दूर ही रहे ,ये भी एक विडम्बना ही ही है मेरा नाम भी तो "स " से ही है .......................