देशभर में तेज़ी से फैल रहे भ्रष्टाचार कों लेकर हम जैसे करोड़ों लोग चिंतित हैं. चिंता की बात ये भी है की देश का प्रबुद्ध वर्ग इस विषय कों लेकर अब लगातार हताश और निराश होता जा रहा है. कारण ये है की सरकारी निकायों में अधिकारी रिश्वत लेते पकड़ा जाता है, और तंत्र उसे तरक्की दे देता है. ईमानदार अधिकारी भ्रष्टाचार कों रोकना चाहता है तो उसे अपमानित होना पड़ता है.स्टिंग आपरेशन में पकडे जाने वाले एक सरकारी अधिकारी कों २००७ में बहाल ही नहीं किया गया, उसे तरक्की दे दी गयी और सरकार का मंत्रालय चुप्पी साधे रहा. वो VRS लेता है और कुछ माह बाद फिर ज्वाइन कर लेता है. मंत्रालय चुप्पी साधे है. क्यों? जो आईएस अधिकारी आवाज़ बुलंद करता है और गंदगी की सफाई करना चाहता है, व्यवस्था उसे ही लाइन हाज़िर कर रास्ते से हटा देती है, क्यों? तब कौन आगे आएगा? एक महिला IAS ने भ्रष्टाचार के खिलाफ सफाई अभियान शुरू किया तो व्यवस्था ने उसे ही पावेरलेस कर दिया.कहाँ है सारे आयोग और वे निकाय जो भ्रष्टाचार को जड़ से समाप्त कर देने का दम भरते हैं? पब्लिक सेक्टर में समाज सेवक आवाज़ बुलंद करता है तो गुंडे उसकी हत्या कर देते हैं, जैसा की अभी हाल में अन्नाहज़ारे के एक शिष्य की महाराष्ट्र में हत्या कर दी गयी आईएस का नया बैच आने वाला है, हम उसे क्या विरासत में देंगे, और उससे क्या उपेक्षा करेंगे? ये एक अहम् सवाल है.पहले आवाज़ सुनी जाती थी ख्वाजा अहमद अब्बास ने एक पत्र पंडित जवाहर लाल नेहरु के नाम ब्लिट्ज में लिखा तो फ़ौरन सरकार हरकत में आ गई थी, आज मीडिया को ही सवालों के घेरे में ले लिया जाता है. तब ईमानदार लोग कहाँ जाएँ?.
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