मंगलवार, 25 जून 2013


"सचमुच, सोने की चिड़िया "था" हमारा देश.....अब नहीं"
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बदन पर "रौशनी" ओढ़ी है सबने,
अंधेरा "रूह" तक फैला हुआ है...,
सुना है और इक भूखा भिखारी,
खुदा का नाम लेते "मर" गया है।।
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दोस्तो, केदारनाथ में महामारी का डर, सामूहिक अग्नि संस्कार की तैयारी, लकड़ी घी के इंतजाम के निर्देश, पुजारियों से मदद का आग्रह...................
केदारनाथ लूटपाट, बाबाओं से लाखों बरामद, बैंक से लूटे 83 लाख, 125 रूपये का एक पराठा, 120 रूपये में पीने का पानी.......
हृदय द्रवित करती हैं ऐसी खबरें.........सचमुच, सोने की चिड़िया "था" हमारा देश.....अब नहीं
(संतोष मिश्रा)
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