रविवार, 16 जून 2013


बच्ची का था इलाज महंगा, गरीब माँ-बाप ने जान ले ली
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आज जब लोग फादर्स डे की बधाईयां देते "संडे" इंज्वाय कर रहे हैं.....अगरतला में एक दिहाड़ी मजदूर और उसकी पत्नी ने छः महीने की बच्ची के इलाज का महंगा खर्च न वहन कर पाने की वजह से उसकी हत्या कर शव घर के नजदीक एक नाले में फेंक दिये जाने की घटना ने मेरे जेहन को झिंझोड़ दिया है।

पुलिस ने बीमार बच्ची के पिता लाबा देबनाथ को गिरफ्तार कर लिया जिसने पत्नी के साथ मिल कर अपनी बेटी लीना की हत्या कर उसे घर के नजदीक एक नाले में फेंकने की बात कबूल कर ली।
बच्ची के पिता लाबा ने बताया कि लीना को टिटनस का संक्रमण होने से रक्तस्त्राव हो रहा था। चिकित्सकों ने प्रत्येक दिन 1500 रूपये की दवा और 900 का एक इंजेक्शन लगाए जाने की सलाह दी थी। घर के इकलौते कमाऊ व्यक्ति एवं दिहाड़ी मजदूर लाबा को पांच सदस्यीय परिवार चलाना पड़ता है और बच्ची के इलाज का खर्च जुटाना उसकी चादर से कहीं ज्यादा था, कैसे फैलाता वह पांव। परिवार ने गांव की पंचायत तथा स्थानीय प्रशासन से मदद की गुहार लगाई थी लेकिन कोई "मदद" नहीं मिली..।

मैं सोच रहा घोटालों के इस देश में जहां डा. मनमोहन सिंह ने स्मार्ट कार्ड जैसी कई योजनाएं चलाई हैं, सभी को दो जून की रोटी मिल सके इसके सभी प्रयास किये गये हैं मगर यह भी सच है कि प्रयास जमीनी नहीं "कागजी" ज्यादा हो गये हैं......!
ऐसी हृदय विदारक घटनाएं सचमुच देश के उन सभी जिम्मेदारों को "चुल्लु भर पानी देने" विवश करती हैं जो जिम्मेदारियां लिये हैं और केवल अपने घर भर रहे हैं......, ऐसी घटनाओं के बाद भी कैसे उतरता होगा अन्न इनके गले की हलक से नीचे......? सचमुच शर्म और नैतिकता मेरे देश से उसी तरह खत्म होती जा रही जैसे इसे मिला सोने की चिड़िया का "तमगा"..................(संतोष मिश्रा) - 16 जून 2013

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