रविवार, 30 अक्तूबर 2011

SANTOSH MISHRA...: बदलने की प्रक्रिया

SANTOSH MISHRA...: बदलने की प्रक्रिया: समय की तकली में रूई की तरह कत रहा है "वर्तमान" और उसी तकली की बेंत पर सूत सा लिपट रहा है "भूत"। सूत के आदिम छोर को पकड़ धीरे-धीरे "वर्तमान...

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