मन के नैन हजार.......

मन से कोई भाग सका न मन के नैन हजार.........

पृष्ठ

  • मुखपृष्ठ
  • मेरी डाय़री के पन्ने में सिमटती......"डायन"

रविवार, 30 अक्टूबर 2011

बदलने की प्रक्रिया


समय की तकली में रूई की तरह कत रहा है "वर्तमान" और उसी तकली की बेंत पर सूत सा लिपट रहा है "भूत"।
सूत के आदिम छोर को पकड़ धीरे-धीरे "वर्तमान" तक जाओगे तो पता चलेंगी तुम्हें "विकास व सभ्यता" की तमाम गाथाएं।
तुम जानने लगोगे कि "पशु" से "मनुष्य" में बदलने की प्रक्रिया कितनी धीमी थी और यहभी समझ लोगे कि आज कितनी जल्दी बदल जाते हैं लोग "मनुष्य" से "पशु" में...............(संतोष मिश्रा)
प्रस्तुतकर्ता Santosh Mishra पर 11:45 pm
इसे ईमेल करेंइसे ब्लॉग करें! X पर शेयर करेंFacebook पर शेयर करेंPinterest पर शेयर करें

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

नई पोस्ट पुरानी पोस्ट मुख्यपृष्ठ
सदस्यता लें टिप्पणियाँ भेजें (Atom)

फ़ॉलोअर

ब्लॉग आर्काइव

  • ►  2018 (1)
    • ►  फ़रवरी (1)
  • ►  2017 (1)
    • ►  मई (1)
  • ►  2016 (2)
    • ►  सितंबर (1)
    • ►  जून (1)
  • ►  2014 (1)
    • ►  सितंबर (1)
  • ►  2013 (3)
    • ►  जून (3)
  • ►  2012 (9)
    • ►  अक्टूबर (2)
    • ►  सितंबर (3)
    • ►  जुलाई (2)
    • ►  अप्रैल (1)
    • ►  फ़रवरी (1)
  • ▼  2011 (33)
    • ▼  अक्टूबर (4)
      • SANTOSH MISHRA...: मेरी डाय़री के पन्ने में सिमटती...
      • SANTOSH MISHRA...: बदलने की प्रक्रिया
      • बदलने की प्रक्रिया
      • मेरी डाय़री के पन्ने में सिमटती......"डायन"
    • ►  अगस्त (14)
    • ►  जुलाई (7)
    • ►  जून (1)
    • ►  अप्रैल (1)
    • ►  मार्च (6)

मेरे बारे में

मेरी फ़ोटो
Santosh Mishra
मेरा पूरा प्रोफ़ाइल देखें
ऑसम इंक. थीम. Blogger द्वारा संचालित.