रविवार, 25 फ़रवरी 2018

दो माले का मकान और जबरदस्त #टशन

#भिखारियों के कौशल के सामने केंद्र सरकार की योजना "बौनी"
00 दो माले का मकान और जबरदस्त #टशन
00 राजनीति ही नहीं यहाँ भी #परिवारवाद हावी
#भिलाईनगर। (छत्तीसगढ़) #सन्तोषमिश्रा 24/02/2018
#भिखारी शब्द सुनते ही आप के जेहन में फटे पुराने कपड़े, बिखरे बाल वाले शख्स की तस्वीर आती होगी, लेकिन हो सकता है कि ये खबर पढ़ के आप के होश ही उड़ जाएं।क्या अपने सोचा है कि किसी भिखारी के पास दो मंजिला मकान हो सकता है? छत्तीसगढ़ की इस्पात नगरी भिलाई में यूँ तो हर चौक चौराहों, बड़े रेस्टॉरेंट के अलावा हर मंदिर और मन्नत की जगहों पर भिखारियों को देखा जा सकता है लेकिन सेक्टर 9 हनुमान मंदिर के बाहर बैठे दीन हींन भिखारियों का जबरदस्त टशन है, मजाल है कि कोई इनसे बदतमीजी कर ले। कुछ तो इतने दबंग हैं कि भिलाई इस्पात संयंत्र (बीएसपी) के क्वार्टरों पर भी कब्जा जमा रखा है। और तो और जनाब आपकी दया और करुणा के पात्र यहां के कई भिखारी हर रोज 500 रुपए तमाम खर्च के बाद बाकायदा बचत भी करते हैं।
बीएसपी हॉस्पिटल परिसर स्थित हनुमान मंदिर, सेक्टर-6 साईं मंदिर, पावर हाउस अंडर ब्रिज के नीचे बना शनि मंदिर इस लिहाज से ज्यादा कमाई वाले स्थान माने जाते हैं। यहां बैठने वाले भिखारी काफी मालदार हैं। इस सब के अलावा बाकायदा सप्ताह में तीन दिन भिखारियों की पूरी टीम 10-10 की टोली बना शहर के बाजार और मार्किट एरिया में भिक्षा याचना के साथ निकलती है। परिवारवाद केवल राजनीति ही नहीं इस कारोबार में लगे लोगों पर भी पूरी तरह हावी है, किसी नए भिखारी के लिए यहां जगह बनाना आसान नहीं।
हालांकि केंद्र सरकार ने हाल फिलहाल भिखारियों को #कौशल विकास योजना के तहत प्रशिक्षित कर रोजगार-स्वरोजगार मुहैया कराने का फैसला किया है लेकिन भिलाई के इन भिखारियों का खासा बैंक बैलेंस, स्टेटस, शादी-ब्याह, तीज-त्यौहार में इनकी शान शौकत का कौशल गर आप देख लें तो यकीनन दाँतों तले उंगली दबा सोचने मजबूर हो जाएंगे। जी हां, यहां के कई भिखारी दो मंजिला मकानों के मालिक हैं। दरअसल ये पेशेवर भिखारी हैं। जो भिखारी का वेश धारण कर जमकर भीख बटोरते हैं। रोजाना 500 रुपए की कमाई बड़ी सामान्य बात है, औसतन 1200 से 1500 रुपए व मंगलवार व शनिवार को ढाई से तीन हजार रुपए तक कमाने वाले भिखारी यहां मिलेंगे।
ये भिखारी राशन कार्ड, स्मार्ट कार्ड, आधार कार्ड यहां तक कि पैन कार्ड के भी धारक हैं। इनकी यूनियन भी है, जिसके बाकायदा मनोनीत पदाधिकारी हैं। कोई चुनाव तो नहीं होता मगर सर्वसम्मति जरूर आंकी जाती है। कोई घटना होने पर मोबाइल फोन से सभी एक दूसरे से संपर्क करते हैं और देखते ही देखते तमाम भिखारी एक स्थान पर जुट जाते हैं।
भिलाई के भिखारियों के कौशल की यह पूरी तफ्तीश अकेले मैने ही नहीं बल्कि कइयों ने की है और करते भी रहेंगे, खुद भिलाई स्टील प्लांट ने पिछले दिनों अपने सीमा क्षेत्र में भीख मांगने वालों की जांच-पड़ताल कर जानकारी जुटाई है। बीएसपी के जन स्वास्थ्य अधिकारी सीनियर मैनेजर केके यादव ने बताया कि इस सर्वे में यह सारी बातें निकल कर आई हैं। बीएसपी ने माना है कि इनमें से कुछ भिखारियों ने सेक्टर-7 में कुछ क्वार्टरों पर कब्जा भी किया हुआ है। कुछ भिखारी अपनी पोल छिपाते हुए दबी जुबान पड़ोसी की पोल आसानी से खोलते हैं, ये बताते हैं कि सबके घर सबकुछ है, मगर ये भी तो एक तरह से काम धंधा ही है, काफी दूर पैदल चल के ठिकाने तक पहुँचना, घूम घूम कर हाथ फैलाना, मना करने पर भी खड़े रहना कि शायद कुछ मिल जाये। कई भिखारी बाकायदा चिल्हर पैसे को दे कर बड़े नोट बड़े व्यवसाइयों से हर रोज बदलते है जो कि 500 से 1500 तक होता है। सचमुच भिलाई के भिखारियों के कौशल के सामने केंद्र सरकार की कौशल विकास योजना बौनी ही लगती है।

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