सोमवार, 5 सितंबर 2016

अंकित का डेढ़ घंटे से बंद "दिल" बाद अचानक धड़कने लगा

00 सात मिनट करेंट के प्रवाह ने ले ही ली थी जान
00 मेडिकल जर्नल्स के लिए नई थीम, भिलाई में मिरेकल
-- SANTOSH MISHRA --  
भिलाई। 29 AUG 2016 सोमवार की रात विद्युत करंट की चपेट में आये 14 वर्षीय अंकित का डेढ़ घंटे बाद सीपीआर की वजह से बंद दिल पुन: धड़कने लगा। परिजन रोते हुए पूरी तरह हार चुके थे लेकिन बीएम शाह हास्पिटल की चिकित्सकीय टीम ने हार नहीं मानी और पैरेंट्स को सांत्वना देते उन्होंने ऐसा करिश्मा कर दिखाया जो कि चिकित्सा जगत में एक अनूठी मिशाल साबित होगा। 48 घंटे के कठिन चिकित्सकीय दौर को पार कर अब अंकित पूरी तरह स्वस्थ है। आरबीआई नागपुर में सुरक्षा गार्ड बृजेश राय व उनका पूरा परिवार अंकित के पुनर्जन्म से बेहद खुश है और परिवार सहित पूरा मोहल्ला इस चिकित्सकीय टीम का आभार जताने जुटा हुआ है।
मिली जानकारी के अनुसार सोमवार की रात गर्मी की वजह से लगभग साढ़े 8 बजे स्टील नगर केम्प-1 निवासी बृजेश राय का 14 वर्षीय पुत्र अंकित बाथरूम में नहाने के दौरान कूलर बॉडी के करेंट की चपेट में आ गया था। दूसरे कमरे में माँ गायत्री ने जब गिरने की आवाज सुनी तो बाथरूम पहुँच उन्होंने देखा कि गिली फर्श पर अंकित का एक हाथ कूलर की बॉडी से चिपका था तथा उस हाथ के बल पर अंकित का पूरा शरीर फर्श पर गिर तड़प रहा था। उसके पास जाने के प्रयास में गायत्री को भी करेंट के झटके महसूस हुए नतीजतन उसने लकड़ी की मदद से बिजली का मेन स्वीच नीचे गिराया और आ कर अंकित को उठाया। इन सब घटनाक्रम में लगभग 6 से 7 मिनट अंकित करेंट के प्रवाह में रहा जिससे वह मूर्छित हो गया था।
अंकित को तत्काल बीएम शाह हास्पिटल लाया गया जहां केजुअल्टी चेकअप के दौरान ही उसके हृदय की धड़कने बंद हो गईं। डॉ. विकास अग्रवाल ने तत्काल उसे आईसीयू में वेंटीलेटर पर शिफ्ट किया। मां गायत्री सहित मोहल्ले के अन्य लोग भी केजुअल्टी में अंकित के हालात से अछूते नहीं रह पाये और वहां मां सहित परिजन बदहवास रोने बिलखने लगे। चिकित्सकीय स्टाफ ने ढाढस बंधाते हुए लगातार उपचार व सीपीआर जारी रखा अंतत: लगभग डेढ़ घंटे बाद अंकित की धड़कने लौट आईं। उसके बाद रात भर टीम उसे बचाने जी-जान से जुटी रही और यह प्रयास सफल हुआ।
डॉ. विकास अग्रवाल ने बताया कि कार्डियो पल्मोनरी रिसशिटेशन (चेस्ट कम्प्रेशन) से हृदय की धड़कने लौटने के चांसेस होते हैं। दिल धड़कन रूकने की वजह से हार्ट, ब्रेन, किडनी, लीवर को रक्त संचार समुचित मात्रा में न मिल पाने की वजह से उसके आर्गन्स काम करना बंद कर देते हैं और मरीज की मौत हो जाती है। उन्होंने बताया कि यह बड़ा ही रेयर केस था जिसमें डेढ़ घंटे सीपीआर किया और उसके बाद भी ब्रेन, किडनी, लीवर डैमेज नहीं हुआ। अंकित पूरी तरह स्वस्थ है, उसके शारीरिक अंग पूरी तरह कार्य कर रहे हैं। यह मेडिकल लैंग्वेज में हमारे लिए किसी मिरेकल से कम नहीं है।
बीएम शाह हास्पीटल के डीएनबी मेडिसीन डॉ. विकास अग्रवाल ने बताया कि सीपीआर बहुत इफेक्टिव होना चाहिए, चेस्ट कम्प्रेशन किस रेट में दें तथा किस टाईमिंग पर स्टार्ट किया गया, यह बहुत मायने रखता है। मरीज को कार्डियक अरेस्ट होने के लिए कुछ मिनटों में ही अगर हम चेस्ट कम्प्रेशन स्टार्ट कर देते हैं तो चांसेस ऑफ रिकवरी बढ़ जाती है। सीपीआर सामान्यत: 15 से 20 मिनट करने के बाद अगर हार्ट बिट स्टार्ट नहीं होती है तो सामान्य तौर पर मरीज को मृत घोषित कर दिया जाता है।
यंग बच्चों में री जनरेशन की क्षमता बहुत अधिक होती है, सामान्यत: एडल्ट पेशेंट में देखा गया तथा मेडिकल जर्नल्स व बुक्स भी यही बताती हैं कि आधे से पौन घंटे तक चेस्ट कम्प्रेशन के बाद अगर धड़कन चालू नहीं होती तो पेशेंट को मृत घोषित कर दिया जाता है। डॉ. अग्रवाल ने बताया कि हृदय धड़कन चालू होने के बाद भी अगर मरीज का लीवर, किडनी, ब्रेन को बराबर मात्रा में ऑक्सीजन नहीं मिल पाती तो सारे आर्गन्स काम करना बंद कर देते हैं और मरीज की अगले 24 से 48 घंटे के भीतर मौत हो जाती है लेकिन अंकित के सारे आर्गन्स स्वस्थ थे और उसमें रीजनरेशन की क्षमता अधिक थी। साथ ही बीएम शाह हास्पीटल के आईसीयू की क्रिटिकल केयर टीम ने साइंटिफिक वे में इफेक्टिवली चेस्ट कम्प्रेशन लगातार जारी रखा। आखिरी दम तक हिम्मत नहीं हारी, क्रिटिकल केयर मेडिसीन भी समुचित व सुव्यवस्थित ढंग से दी जाती रही नतीजतन लगभग डेढ़ घंटे का प्रयास रंग लाया। अंकित की न केवल हार्ट बिट शुरू हुई बल्कि 48 घंटे के भीतर वह पूरी तरह री-कवर हो गया।
अंकित की किडनी, लीवर, ब्रेन बिना किसी डेमेज के अब पूरी तरह सामान्य रूप से काम कर रहे हैं। वह सचेत और ठीक ढंग से बातचीत कर रहा है। वेंटीलेटर से हटा कर उसे आईसीयू बेड पर लाया गया है। भोजन व अन्य क्रियाकलाप व्यवस्थित ढंग से कर पाने अब अंकित सक्षम है। शांति नगर की मार बेसेलियस विद्या भवन स्कूल में कक्षा नवमीं का छात्र अंकित दो बड़ी बहनों में अकेला भाई है। उसको मिले जीवनदान से पूरा रॉय परिवार खुशियां मना रहा है। डॉ. विकास अग्रवाल, डॉ. नेम सिंह, अकांक्षा, डोमन, अमित द्विवेदी, यशोदा व लीना की इस चिकित्सकीय टीम का न सिर्फ परिवार बल्कि मोहल्ले के लोगों ने भी हास्पीटल पहुँच आभार माना है।
डॉ. नेम सिंह ने बताया कि इतने समय तक करेंट की चपेट में होने के बाद अमूमन हृदय की धड़कन आसामान्य होने के आलावा ब्रेन डेमेज की आशंका, मरीज सुप्तावस्था में चला जाता है, उसकी मांस पेशियां क्षतिग्रस्त हो जाती हैं साथ ही किडनी फंक्शन भी पूरी तरह प्रभावित हो जाता है। चेस्ट कम्प्रेशन प्रोसेस आम नागरिकों को भी मालूम होने से लगभग 50 फीसदी लोगों को मौत से बचाया जा सकता है क्योंकि धड़कन बंद होने के बाद चेस्ट कम्प्रेशन वायटल आर्गन्स को सपोर्ट करता है।